Sad Shayari

दिल में ना था उसकी जुबां पे भी ना था,,
शुक्र है जो अंदर ना था बाहर भी ना था.....

लाज़मी था ख़त के आख़िर में ना होना,,
उसके नाम का आख़री लफ्ज़ भी ना था.....

बहुत खू़ब अदा थी बेशक उसकी ना में,,
ना सुनने का सब्र अब मुझमे भी ना था.....

वो फूल गुलाब था जिसे हमने चुना था,,
दर्द ये था कि उसको छूना भी ना था.....


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Sad Shayari




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