Love Shayari

मैंने कब कहा कि मुझमें एब नहीं है,,
पैमाना लेकर कभी वो आई नहीं है.....

गै़रों की गली से बेवक्त का गुज़रना,,
रस्में जहां अभी वो समझी नहीं है.....

और हर बात में ज़िक्र मुहब्बत का,,
इस ज़माने में अभी वो रची नहीं है़.....

गै़र कौन है, मेरे बगै़र कौन है,,
कायदा-ए-इश्क अभी वो पढ़ी नहीं है.....

अब सही है या गलत वो लत है मेरी,,
आदत मेरी इतनी भी वो बुरी नही है.....

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Love Shayari

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