Educational Poem
प्राथमिक शिक्षा में अब शिक्षा प्राथमिक नही,,
सब सैद्धान्तिक हो गया,कुछ व्यावहारिक नही,,
मा-बाप ने बोलना सीखाया,शिक्षक कहते चुप रहो,,
मशीन बच्चा हो गया,शिक्षक ऑपरेटर से कम नही।
स्कूल में MDM* का संचालक है प्राथमिक शिक्षक,
और फोन पर इसके जैसा कोई प्रॉपर्टी एडवाइजर नही।
सब सैद्धान्तिक हो गया,कुछ व्यावहारिक नही,,
मा-बाप ने बोलना सीखाया,शिक्षक कहते चुप रहो,,
मशीन बच्चा हो गया,शिक्षक ऑपरेटर से कम नही।
स्कूल में MDM* का संचालक है प्राथमिक शिक्षक,
और फोन पर इसके जैसा कोई प्रॉपर्टी एडवाइजर नही।
मिडिल शिक्षा में सब मिडिल मे लटका है,,
सर्व शिक्षा अभियान बस यही तक सिमटा है,,
ये साक्षर कहता है उसे जो बच्चा कक्षा आठ का है,,
पर सच है कि सिर्फ आठवीं पास बच्चा,,
है धोबी का कुत्ता,ना घर का,ना घाट का है।
इसका उद्देश्य केवल भारत को सर्टिफाइड करना है,,
क्वालिफाइड कौन करेगा सवाल बस इस बात का है।
सर्व शिक्षा अभियान बस यही तक सिमटा है,,
ये साक्षर कहता है उसे जो बच्चा कक्षा आठ का है,,
पर सच है कि सिर्फ आठवीं पास बच्चा,,
है धोबी का कुत्ता,ना घर का,ना घाट का है।
इसका उद्देश्य केवल भारत को सर्टिफाइड करना है,,
क्वालिफाइड कौन करेगा सवाल बस इस बात का है।
हायर शिक्षा में नही रहा अब कुछ भी हाई,,
DOB* की खातिर दसवीं करनी पड़ती है भाई,,
दसवीं का बोर्ड तो बच्चों के लिए बॉर्डर हो गया,,
मेरिट ही लाना बेटा,मा बाप का आर्डर हो गया।
सुबह एक्स्ट्रा और शाम को ट्यूशन भी जरूरी है,,
चाह कर भी खेल नही सकते,
धरती पर बच्चे की ये सबसे बड़ी मजबूरी है।
DOB* की खातिर दसवीं करनी पड़ती है भाई,,
दसवीं का बोर्ड तो बच्चों के लिए बॉर्डर हो गया,,
मेरिट ही लाना बेटा,मा बाप का आर्डर हो गया।
सुबह एक्स्ट्रा और शाम को ट्यूशन भी जरूरी है,,
चाह कर भी खेल नही सकते,
धरती पर बच्चे की ये सबसे बड़ी मजबूरी है।
सीनियर सेकेंडरी में,
कोचिंग सीनियर और शिक्षा सेकेंडरी हो गई,,
इंटरेस्ट कुछ भी हो,PCM* नेसेसरी हो गई,,
तुलना बच्चे की माँ बाप दूसरे बच्चों से करते है,,
जो करना नही चाहता वही करने को बेबस करते है।
करो या मरो की स्थिति में आज का बच्चा है,,
यथार्थ से जिसका तालुक नही,ये कैसी शिक्षा है।
कोचिंग सीनियर और शिक्षा सेकेंडरी हो गई,,
इंटरेस्ट कुछ भी हो,PCM* नेसेसरी हो गई,,
तुलना बच्चे की माँ बाप दूसरे बच्चों से करते है,,
जो करना नही चाहता वही करने को बेबस करते है।
करो या मरो की स्थिति में आज का बच्चा है,,
यथार्थ से जिसका तालुक नही,ये कैसी शिक्षा है।
आज का टीचर भी चीटर हो गया,
स्कूल में पौधा लगाकर FB* पर दिखाना जरूरी हो गया,,
नौकरी सरकारी स्कूल में करेंगे,,
खुद के बच्चों को दाखिल प्राइवेट स्कूल में करेंगे,,
मतलब साफ है जॉब तो मिल गई पर काम नही करेंगे।
गेस्ट टीचर्स ने तो हद ही कर डाली,
गेस्ट शब्द की परिभाषा ही बदल डाली,
वो जानते है गेस्ट यानी मेहमान,
पर मानते है कि,
हटा कोई सकता नही जब तक है जान,,
जब तक है जान,जब तक है जान.......
स्कूल में पौधा लगाकर FB* पर दिखाना जरूरी हो गया,,
नौकरी सरकारी स्कूल में करेंगे,,
खुद के बच्चों को दाखिल प्राइवेट स्कूल में करेंगे,,
मतलब साफ है जॉब तो मिल गई पर काम नही करेंगे।
गेस्ट टीचर्स ने तो हद ही कर डाली,
गेस्ट शब्द की परिभाषा ही बदल डाली,
वो जानते है गेस्ट यानी मेहमान,
पर मानते है कि,
हटा कोई सकता नही जब तक है जान,,
जब तक है जान,जब तक है जान.......
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