Sad Shayari
जो किताबों में सौ गुलाब रखता था,,
सौ चेहरे,हर चेहरे पे नक़ाब रखता था....
सौ चेहरे,हर चेहरे पे नक़ाब रखता था....
उसके लबों पर हँसी,थी हसरत मेरी,,
वो इससे कहीं ऊँचे ख्वाब रखता था....
वो इससे कहीं ऊँचे ख्वाब रखता था....
एक सवाल था जुबां पे बस मेरी,,
वो जुबां पे सौ जवाब रखता था....
वो जुबां पे सौ जवाब रखता था....
कौन अदा थी जाने उसमे छुपी बैठी,,
वो रतनम को अपना मोहताज रखता था.....
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वो रतनम को अपना मोहताज रखता था.....
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