Sad Shayari
मुजरिम हो गया तेरा,तुझसे इक दफ़ा इश्क़ करके,,
सजा अब ये दो क़ि तुमसे दोबारा मुहब्बत ना हो....
सजा अब ये दो क़ि तुमसे दोबारा मुहब्बत ना हो....
इश्क़ में टूटा हुआ बेख़ौफ़ फिरता हूँ दोस्तों,
दुआ ये करना क़ि कहीं कोई कयामत ना हो....
दुआ ये करना क़ि कहीं कोई कयामत ना हो....
मुहब्बत नही तो उसका ख्वाब भी क्यूं दिया,,
क्या करे ग़र किसी गरीब की हैसियत ना हो....
क्या करे ग़र किसी गरीब की हैसियत ना हो....
कोई ओर भी है सजा,तो है कुबूल मेरे मसीहा,,
आरज़ू इतनी क़ि मुड़ के इश्क़ की हसरत ना हो....
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आरज़ू इतनी क़ि मुड़ के इश्क़ की हसरत ना हो....
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