Love Shayari

जो लब खुले तो तेरा जिक्र हो गया,
बस किताबों में पलटे थे जुदाई के पन्ने,,
तुमसे हुआ दूर तो दफ़न-ए-कब्र हो गया.....

हर हवा के झोंके से तेरी ख़ैरियत पूछी,,
पर खुद के हाल-ए-दिल से बेखबर हो गया....

जब भी तेरी खुशबू का सा इल्म हुआ,,
बिन पैमाने नशे का सा असर हो गया....

लोगों ने मुझे पागल करार दिया है,,
तुझे ढूंढने की चाह में जब आवारा हर डगर हो गया....

जो सजा एक मुजरिम की वो मुझे देना तुम,,
ग़र तेरी यादों से इक पल मैं बेखबर हो गया....

तुमने जो याद किया तो आई हिचकियां,,
कमबख्त दिल को इतने में ही सब्र हो गया....

शाम ढलते ही तेरा फिक्र हो जाना,,
लगता है ये रोग अब ताउम्र हो गया.....

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