Educational Poem

जब कभी थमे हुए पेड़ों की परछाइयां,
देकर गहरी चोट दिल पर सागर से दुगनी हो जाती है,,
तो चल पड़ती है ठंडी हवाएं चारों तरफ से,,,
और लगी चोट पर काम मरहम का कर पाती है....
आशाएं तो किसी की भी ताकत होती है,
दिशाएं बदलते रहना तो हवाओं की आदत होती है,,
कभी इस ओर तो कभी उस ओर,,,
हो इशारा ग़र अपनी तरफ तो दिल को राहत मिलती है....
भला कलियां भी तो पतझड़ से गुजर कर ही खिलती हैं,
ये जीता वो हारा रह गई सब छोटी बातें,,
है बात ग़र पते की कोई तो सिर्फ है,,,
एक किसने की है अपनी दिन और रातें....
ख़ैर हार जीत की बात का अब क्या फायदा,
जो होना है वो तो होगा ही लेकिन,,
कुछ अलग करने का किसी से अपना भी रहा वायदा,,,
और अब तो सवाल आबरु का बन चला है,,,,
वरना हवा के सामने एक तिनके का क्या कायदा....
ऐ जीतने वालों जीत कर ना थम तुम जाना,
कोशिशें दुगनी कर चुके हैं हारने वाले भी,,
और दिशाएं बदलते रहना तो हवाओं की आदत होती है,,,
कभी इस ओर तो कभी उस ओर.....

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Educational Poem

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