Sad Shayari

फिलहाल जिंदगी मेरी वो पेड़ है,
पतझड़ का अभी जो मारा है,
शाखाएं सुनी सुनसान बेजान पड़ी है,
पुरानी यादों का बाकी कुछ सहारा है,

पहले हवाऐं कुछ ठहर जाती थी,
हवाएं अब छूकर गुजर जाती है,
झूम लेते थे जहां पंछी बड़े-बड़े,
तितलियां भी अब मजाक बनाती है,

शोभा बढ़ाती थी जो पत्तियां,
रिश्ता टहनी से अब उनका कुछ नहीं,
फिलहाल लोग जो ताने कस रहे हैं,
बस वही है सही,

पर जिंदा लाश बता रही है,
मौसम कभी वो आएगा,
मंजर हरियाली का फिर से छाएगा,
जो अभी सोच की सीमा पर अटका है,,

फिलहाल जीवन मेरा वो पेड़ है......

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