Sad Shayari
क्यूँ गुम हुआ हूं मैं,
करवट ले रही राहों में,,
वहम मुझे क्यूँ रहता है,,
जैसे ठहरा वो मेरी बाहों में....
करवट ले रही राहों में,,
वहम मुझे क्यूँ रहता है,,
जैसे ठहरा वो मेरी बाहों में....
हर ओर उनका सा नजारा है,
सब कुछ बाकी धुंधला हुआ है,,
तस्वीर बन गई जैसे निगाहों में....
सब कुछ बाकी धुंधला हुआ है,,
तस्वीर बन गई जैसे निगाहों में....
पल दो पल की चिंगारी जली थी,
बुझाने से जो बुझी नहीं थी,,
कशमकश में सब राख हुऐ,,,
बस रिश्ता कर गए मेरी आहों से....
बुझाने से जो बुझी नहीं थी,,
कशमकश में सब राख हुऐ,,,
बस रिश्ता कर गए मेरी आहों से....
इक सवाल सा मैं उलझ गया,
कभी न किया जो कर गया मै,,
बस साँसे बची थी कुछ अपनी,,,
आखिर में जो उनको लिख गया मैं....
कभी न किया जो कर गया मै,,
बस साँसे बची थी कुछ अपनी,,,
आखिर में जो उनको लिख गया मैं....
राहें सुनी वो देख रहा हूं,
कुछ पहले गुजरा उनके साथ जहां मै,,
आते जाते लोग बहुत है,,,
बस उनका निशां नहीं इन राहों में....
कुछ पहले गुजरा उनके साथ जहां मै,,
आते जाते लोग बहुत है,,,
बस उनका निशां नहीं इन राहों में....
क्यूँ गुम हुआ हूं मैं करवट ले रही राहों में.....
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