Sad Shayari
अभी तो निकले थे जिंदगी को मनाने,,
कुछ दूर चले कि सांसे हार गई....
कुछ दूर चले कि सांसे हार गई....
उनका गहना था रहा कभी खामोशी यूं तो,,
खुली जुबाँ तो नहूस-ए-लफ़्ज दिल के पार गई....
खुली जुबाँ तो नहूस-ए-लफ़्ज दिल के पार गई....
ग़ज़ल मेरी के मायने तारीफ उनकी थी,,
लिखने जो आज बैठा तो कलम नकार गई....
लिखने जो आज बैठा तो कलम नकार गई....
किसी सवाल सा उलझा हूं बीच राह में,,
जाने बिस्मिल जिंदगी मेरी किस आकार गई....
जाने बिस्मिल जिंदगी मेरी किस आकार गई....
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