Romantic Shayari

पानी पर लहर जैसे,
समंदर में कश्ती जैसे,
मुस्कुरा कर जब चली,
चली शीतल हवा जैसे,
शरमाई सी घबराई सी,
पत्ते सी मुरझाई सी,
देख रही जो छुप-छुपकर,
बादलों में छुपा चांद जैसे,
लता सी लिपटी हुई,
पत्तों से जो खेल रही,
मुझे देख सिमट गई वो,
पत्ते पर ओस की बूंद जैसे,
घटा बादल,पेड़ पत्तियां,सूरज चांद,,
कुछ नहीं है दिन और रात,
प्रकृति सारी समेट ली हो जैसे,
अजनबी सी अनजानी सी,
कुछ अपनी सी बेगानी सी,
न जाने कौन थी वैसे,,,
ना जाने वो कौन थी.....

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