Love Shayari

जब उठती है पलके तो दिन हुआ चला जाता है,
शक है ये ज़मी क्या रवि से रोशन होती है,,
है आधार ये किसी ग़ज़ल गीत कवि रागिनी का,,,
पंहुचा है कोई ख़ास जहां उस तल पर तैरते दो मोती है....

होगा दिन का ढलना तो कुदरत का ही कोई करिश्मा,
जो झुकी पलके,अपनी तो सांझ वहीँ से होती है,,
चेहरा ढकना,मुह छिपाना सब दिखावा हो चला,,,
सिखने वाला सीख ले हया यही से होती है....

ज़िक्र बाकी है बस तेरी तिरछी नजरों का,
कहूँगा इतना,जुबां की बात निगाह से होती है,,
होगा जिस पर इलज़ाम कत्ल-ए-रतनम,,,
भला ऐसी अदा भी जहाँ में  कहीं होती है???

उठा कर पलकें न दिखाओ हमे तुम आसमां,
यकीं मानिए,अपनी तो शुरुआत गहराईयों से होती है,,
खैर चाहते हो ग़र मेरी तो पलकें झुकी ही रखिये,,,
सुना है अक्सर शाम तन्हा सुनसान होती है....

है बंद पलकों में भी तेरी मेरी एक हसरत छुपी,
हो शुकुन-ए-जन्नत जहां,भला ऐसी कैद भी होती है,,
चलता रहे ये मेरा कुदरत यूँही तुम्ही से,,,
लगता हर लब्ज़ में इक यही दुआ बस होती है.....

# two lines shayari, sad shayari, love shayari, romantic shayari, heart touching shayari

Comments

Popular posts from this blog

Love Shayari

Sad Shayari